*प्रातःकालीन वंदना*
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प्रात: क़ालीन वन्दना ::------
1) सिद्ध शिला पर विराजमान अनन्तानन्त सिद्ध परमेष्ठी भगवन्तों को मेरा बारमबार नमस्कार है ।
२) - वृषभादिक महावीर पर्यन्त अंगुलियों के २४ पोरो में विराजित २४ तिर्थंकरों को मेरा नमस्कार है ।
३) - सीमंधर आदि विद्यमान २० तीर्थंकरों को मेरा नमस्कार है
४) - सम्मेदशिखर सिद्धक्षेत्र को मेरा बारम्बार नमस्कार है ।
५) - चारों दिशा - विदिशाओं में जितने अरिहन्त , सिद्ध , आचार्य , उपाध्याय व सर्व-साधु , जिनधर्म , जिनागम व जितने भी कृत्रिम व अकृत्रिम चैत्य-चैत्यालय है , उनको मेरा मन -वचन और काय से बारम्बार नमस्कार है ।
६) - पाॅच भरत , पॉच ऐरावत् , दश क्षेत्र सम्बन्धी तीस चौबीसी के सात सौ बीस जिनालयों में स्थित जिनवरों को मेरा बारम्बार नमस्कार है ।
७) - जितने भी अतिशय क्षेत्र , सिद्ध क्षेत्र , जिनवाणी, शास्त्र , मुनिराज , माताजी ,क्षुल्लक , क्षुल्लिका जी है उन सबके चरणों में मन, वचन और काय से बारम्बार नमस्कार हो ।
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