Friday 31 March 2017

Jai Jinendra Quotes...

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जीवन मिलना भाग्य की बात है,
मृत्यु होना समय की बात है।
  पर मृत्यु के बाद भी
लोगों के दिलों में जीवित रहना
 ये कर्मों की बात है।

"जय जिनेंद्र" 



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"जय जिनेंद्र"

ना वहम से जिओ
ना रहम से जिओ
ज़िन्दगी को यारो
प्रेम से जिओ



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☄⚜☄⚜☄⚜☄⚜☄⚜

☝किसी ने कहा ---जब हर कण कण मे भगवान है तो तुम मंदिर क्यूँ जाते हैं।

✏ बहुत सुंदर जवाब ...

हवा तो धुप में भी चलती है पर आनंद 
छाँव मे बैठ कर मिलता है 
वैसे ही भगवान सब तरफ है पर 
                   आनंद मंदिर मे ही आता है।।

"जय जिनेंद्र"
                
        स्नेह वंदन          
😊🍀🙏 🙏🍀😊

🍁*आपका दिन मंगलमय हो* 🌺
     🌹सुप्रभात🌹        









Wednesday 29 March 2017

Great Lines ... " मैं पैसा हूँ "...

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      मैं पैसा हूँ: मुझे पसंद करो सिर्फ इस हद तक की लोग                 आपको नापसन्द न करने लगे..



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मैं पैसा हूँ: मैं नमक की तरह हूँ जो जरुरी तो है मगर जरुरत                से ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है..



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मैं पैसा हूँ: मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते      मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूँ..



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मैं पैसा हूँ: मैं कुछ भी नहीं हूँ मगर मैं निर्धारित करता हूँ कि लोग आपको कितनी इज्जत देते हैं..



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मैं पैसा हूँ: मैं बोलता नहीं मगर सबकी बोलती बंद करवा सकता हूँ..



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मैं पैसा हूँ: इन्सान कहता है अगर पैसा हो तो मैं कुछ कर के दिखाऊँ और मैं कहता हूँ कि तू कुछ कर के दिखा तो मैं आऊँ..



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मैं पैसा हूँ: मैं आपके पास हूँ तो आपका हूँ, आपके पास नहीं हूँ तो आपका नहीं हूँ, मगर मैं आपके पास हूँ तो सब आपके हैं.. 































Tuesday 28 March 2017

"भक्तामर स्तोत्र "... "भक्तामर स्तोत्र" की रचना कब हुई, कैसे हुई और क्यों हुई, कैसे पढ़े, कब पढ़े और किस तरह पढ़े, आदि सब जाने ...

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 "भक्तामर स्तोत्र "


🌹 "भक्तामर स्तोत्र" की रचना कब हुई, कैसे हुई और क्यों हुई, कैसे पढ़े, कब पढ़े और किस तरह पढ़े, आदि सब जाने ... 🌹

🙏 🙏 🙏 🙏


"भक्तामर स्तोत्र" की रचना "मानतुंग आचार्य" जी ने की थी, इस स्तोत्र का दूसरा नाम "आदिनाथ स्रोत्र" भी है, यह संस्कृत में लिखा गया है, प्रथम अक्षर भक्तामर होने के कारण ही इस स्तोत्र का नाम भक्तामर स्तोत्र पढ़ गया, ये वसंत-तिलका छंद में लिखा गया है! हम लोग भक्ताम्बर बोलते है जबकि ये भक्तामर है !

🔵 🔵 🔵 🔵 🔵

भक्तामर स्तोत्र में 48 शलोक हैं , हर शलोक में मंत्र शक्ति निहित है, इसके 48 के 48 शलोको में “म“ “न“ “त“ “र“ यह चार अक्षर पाए जाते हैं!

🔵 🔵 🔵 🔵

इस स्तोत्र की रचना के सन्दर्भ में प्रमाणित है कि आचार्य मानतुंग को जब राजा भोज ने जेल में बंद करवा दिया था, तब उन्होंने भक्तामर स्तोत्र की रचना की तथा 48 श्लोकों की रचना पर 48 ताले टूट गए! मानतुंग आचार्य 7वीं शताब्दी में राजा भोज के काल में हुए हैं ||
इस स्तोत्र में "भगवान आदिनाथ" की स्तुति की गई है ||


🔵 🌞 🔵 🌞 🔵 🌞 🔵 🌞


भक्तामर स्तोत्र का अब तक लगभग 130 बार अनुवाद हो चुका है|| बड़े बड़े धार्मिक गुरु चाहे वो हिन्दू धर्म के हों, वो भी भक्तामर स्तोत्र की शक्ति को मानते हैं तथा मानते हैं भक्तामर स्तोत्र जैसा कोई स्तोत्र नहीं है!, अपने आप में बहुत शक्तिशाली होने के कारण यह स्तोत्र बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हुआ! यह स्तोत्र संसार का इकलोता स्तोत्र है जिसका इतनी बार अनुवाद हुआ जो की इस स्तोत्र के प्रसिद्ध होने को दर्शाता है !

मन्त्र थेरेपी में भी इसका उपयोग विदेशों में होता है, इसके भी प्रमाण हैं ||


🔵 🔵 🔵 🔵 🔵 🔵


भक्तामर स्तोत्र के पढने का कोई एक निश्चित नियम नहीं है, भक्तामर को किसी भी समय प्रातः, दोपहर, सायंकाल या रात में कभी भी पढ़ा जा सकता है, कोई समय सीमा निश्चित नहीं है, क्योकि ये सिर्फ भक्ति प्रधान स्तोत्र है जिसमे भगवान की स्तुति है, धुन तथा समय का प्रभाव अलग अलग होता है!


🔵 "भक्तामर स्तोत्र" का प्रसिद्ध तथा "सर्वसिद्धिदायक महामंत्र" – — ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं अर्हं श्री वृषभनाथतीर्थंकराय् नमः


🔵 48 काव्यों के 48 विशेष् मन्त्र भी हैं!!


🔵 "48 काव्यों की महता"...

1)  सर्वविघ्न विनाशक काव्य
2) शत्रु तथा शिरपीड़ा नाशक काव्य
3) सर्व सिध्दि दायक काव्य
4) जल जंतु भय मोचक काव्य
5) नेत्र रोग समहारक काव्य
6) सरस्वती विद्या प्रसारक काव्य
7) सर्व संकट निवारक काव्य
8) सर्वारिष्ट योग निवारक काव्य
9) भय पाप नाशक काव्य
10) कुकर विष निवारक काव्य
11) वांछा पूरक काव्य
12) हस्तिमद निवारक काव्य
13) चोरभय व् एनी भय निवारक काव्य
14) आधी व्याधि नाशक काव्य
15) राज वेभव प्रदायक काव्य
16) सर्व विजय दायक काव्य
17) सर्व रोग निरोधक काव्य
18) शत्रु सैन्य स्तम्भक काव्य
19) पर विद्या छेदक काव्य
20) संतान सम्पति सोभाग्य प्रदायक काव्य
21) सर्व वशीकरण काव्य
22) भूत पिशाच बाधा निरोधक काव्य
23) प्रेत बाधा निवारक काव्य
24) शिरो रोग नाशक काव्य
25) दृष्टि दोष निरोधक काव्य
26) आधा शीशी एवं प्रसव पीड़ा विनाशक काव्य
27) शत्रु उन्मूलक काव्य
28) अशोक वृक्ष प्रतिहार्य काव्य
29) सिंहासन प्रतिहार्य काव्य
30) चमर प्रतिहार्य काव्य
31) छत्र प्रतिहार्य काव्य
32) देव दुंदुभी प्रतिहार्य काव्य
33) पुष्प वृष्टि प्रतिहार्य
34) भामंडल प्रतिहार्य
35) दिव्य धवनि प्रतिहार्य
36) लक्ष्मी प्रदायक काव्य
37) दुष्टता प्रतिरोधक काव्य
38) वेभव वर्धक काव्य
39) सिंह शक्ति संहारक काव्य
40) सर्वाग्नि शामक काव्य
41) भुजंग भय भंजक काव्य
42) युद्ध भय विनाशक काव्य
43) सर्व शांति दायक काव्य
44) भयानक जल विपत्ति विनाशक काव्य
45) सर्व भयानक रोग विनाशक काव्य
46) बंधन विमोच काव्य
47) सर्व भय निवारक काव्य
48) मनोवांछित सिद्धिदायक काव्य


"भक्तामर स्तोत्र" का प्रतिदिन आराधन कर धर्मध्यान कर जीवन में सुख शांति अनुभव करें ||

Friday 24 March 2017

मृत्यु के बाद भी पुण्य कमाने के 7 (सात) आसान उपाय ...

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मृत्यु के बाद भी पुण्य कमाने के 
7 (सात) आसान उपाय ...


.🔜 (1)= किसी को धार्मिक ग्रन्थ भेंट करें जब भी कोई उसका पाठ करेगा आप को पुण्य मिलेगा ।


🔜(2)= एक व्हीलचेयर किसी अस्पताल मे दान करें जब भी कोई मरीज उसका उपयोग करेगा पुण्य आपको मिलेगा।


🔜(3)= किसी अन्नक्षेत्र के लिये मासिक ब्याज वाली एफ. डी बनवादे जब भी उसकी ब्याज से कोई भोजन करेगा आपको पुण्य मिलेगा।


🔜 (4)=किसी पब्लिक प्लेस पर वाटर कूलर लगवाएँ हमेशा पुण्य मिलेगा।


🔜(5)= किसी अनाथ को शिक्षित करो वह और उसकी पीढ़ियाँ भी आपको दुआ देंगी तो आपको पुण्य मिलेगा। 


🔜(6)= अपनी औलाद को परोपकारी बना सके तो सदैव पुण्य मिलता रहेगा।


🔜( 7)= सबसे आसान है कि आप ये बातें औरों को बतायें, किसी एक ने भी अमल किया तो आपको पुण्य मिलेगा...! 


सबसे पहले सेंड करदो, क्यूंकि जबतक कोई यह MSG पढ़ता रहेगा,
आप के नाम के पुण्य के, 🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳 पेड़ लगते रहेंगे, और आपको ...,
🍎🍏🍊🍋🍒🍇🍉🍓🍑 🍈🍌🍐🍍 फल मिलते रहेंगे इसलिये रुकिये नही निरंतर लगे रहिये ....! 🙏


" जय जिनेन्द्र "

Wednesday 22 March 2017

भगवान महावीर अनमोल वचन...

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भगवान महावीर अनमोल वचन... 


गौतम स्वामी ने महावीर स्वामी से पूछा: प्रभु, "मौन" और "मुस्कान" में क्या अंतर है ?


तो महावीर स्वामी ने बहुत सुन्दर जबाब दिया--
"मौन" और "मुस्कान" दो शक्तिशाली हथियार होते है.
"मुस्कान" से कई समस्याओ को हल किया जा सकता है और "मौन" रहकर कई समस्याओ को दूर रखा जा सकता है.....

      🙏 जय जिनेन्द्र 🙏      

आज का सुविचार ...

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                          आज का सुविचार ...                        

जिन्दगी हसाये तब समझना की अच्छे कर्मों 
 का फल मिल रहा है..

और जब जिन्दगी रूलाये तब अच्छे कर्म 
करने का समय आ गया है।

Tuesday 21 March 2017

Mahavir Jayanti Quotes with images...

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     "Bhagwan Mahavir Janma Kalyanak"     Mahavir Jayanti image..


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क्या आप ऐसे जैन हैं.....

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क्या आप ऐसे जैन हैं.....

1 प्रश्न.. *आप नित्य जिन मन्दिर जाते हैं ?*
   उत्तर.. घर और दुकान पर भगवान की तस्वीर है दिया - बत्ती करता हूँ।
*(इनके पास वक्त नही है मेहरबानी कर रहे है)*


2 प्रश्न.. *क्या आप की संतान नित्य मन्दिर जाती है ?*
   उत्तर.. अरे उसका कॉलेज है स्कूल है क्लास है।
*(आपकी सोच ही उसको धर्म के प्रति उदासीन बना रही है जहाँ चाह है वहाँ राह है)*


3 प्रश्न.. *क्या आप रात्रि भोजन करते हैं ?*
   उत्तर.. अब व्यापार ही ऐसा है वक्त ही नहीं मिलता ?
    *(आपने धर्म के नियम को अपनी सुविधा से तोड़ मरोड़ दिया है)*


4 प्रश्न.. *साधू संतो के विहार में गए हो ?*
   उत्तर .. भाई इतना चलना ! माफ़ करना।
*(कभी 4 कदम विहार में नंगे पैर चल कर देखो फिर उनकी महानता का अनुभव होगा)*


5 प्रश्न.. *कभी साधुओं को आहार दिया चौका लगाया ?*
   उत्तर.. पता नहीं क्या क्या करना पड़ता है, कैसे लगाऊँ ?
*आज ये हालत है तो आपकी संतान क्या साधुओ की सेवा करेगी कौन आहार विहार करवाएगा*


*अर्ज़ किया है*

मंदिर सूने रहने लगे
 साधू पड़ गए अकेले ।
  पूजा पाठ हो रहा  
पुजारी को पैसा देके ।


बाप को व्यापार से फुरसत नहीं
बेटे की नींद खुलती नहीं ।
दादा जी की टांगे चलती नहीं
जैन का ठप्पा लगवाने
साल में एक दो बड़ी बोली लेले ।


क्या है भविष्य जैन धर्म का
कोई तो विचार कर ले ।
थोड़े कोई जो धर्म से जुड़ते 
उनके भी है पंथवाद के झमेले।


सब झंझटो से निजात पाने
मोक्ष मार्ग अपनाने
जिन धर्म की पताका फहराने
एक सार्थक प्रयास करें


*मन्दिर निर्माण करने से पहले ऐसी जैन पिढ़ी का निर्माण करें जो उस मंदिर में जाकर जिन - दर्शन - पूजा - पाठ कर ले*।

 ।। जय जिनेन्द्र ।।

Sunday 19 March 2017

*14 नियम*... *श्रावक के १४ नियम जो हमें रोज़ लेने चाहिये .....*

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 *14 नियम* 


    *श्रावक के १४ नियम जो हमें रोज़ लेने चाहिये .....* 


इन नियमो की धारणा करने से पालन करने से हम बहुत से अनचाहे कर्म बंधन से बच सकते हैं ।

जीवन को अनुशासित बनाने के लिए त्यागमयी वृतियो में दृढ़ता लाने के लिए प्रत्येक श्रावक को अपनी दिनचर्या को नियमबद्ध करने का विधान जैनागम में है ।

14 नियम लेने से समुद्र जितना पाप घटकर बूँद जितना रह जाता है । 
जगत की सभी वस्तुएं उसके उपयोग में नहीं आ सकती ।
अतः उन वस्तुओ के उपयोग का अनावश्यक पाप बंध न हो इसके लिए चोदह नियम लेने चाहिए ।
इसमें आवश्यक चीजें खुली भी रख सकते हैं और अनावश्यक के त्याग का भी लाभ भी हो जाता है
खाते पीते भी पापो से बचने का सुन्दर व् सरल उपाय है , यह 
चोदह नियम इस प्रकार है : -
सचित दव्व विगई वाणह तंबोल वत्थ कुसुमेशु ।
वाहण शयन विलेपन बंभ दिसि ण्हाण भत्तेसु ।।


*१. सचित्त :- सचित्त अर्थात जिस पदार्थ में जीव राशि है ।*
इसमें सचित पदार्थो के सेवन की दैनिक मर्यादा रखी जाती है।
सचित्त पदार्थ वे है . जैसे कच्ची हरी सब्जी , कच्चे फल , नमक , कच्चा पानी, कच्चा पूरा धान आदि का सम्पूर्ण त्याग अथवा इतनी संख्या से अधिक उपयोग नही करूँगा ऐसा नियम करना । ( 3, 5 ,7 आदि )

*२ . द्रव्य :- खाने – पीने की वस्तु / द्रव्य की प्रतिदिन मर्यादा रखनी है , इसमें पदार्थो की संख्या का निश्चय किया जाता है ।*
भिन्न भिन्न नाम व स्वाद वाली वस्तुएं इतनी संख्या से अधिक खाने के काम में नहीं लूँगा ।
जैसे खिचड़ी , रोटी, दाल, शाक, मिठाई, पापड़, चावल आदि की मर्यादा करना । (11, 15, 21 आदि )

*३ . विगई :- अभक्ष्य विगई , मदिरा , मांस , शहद और मक्खन इनका सर्वथा त्याग होना ही चाहिए ।*
भक्ष्य विगई : - प्रतिदिन तेल घी दूध दही शक्कर / गुड तथा घी या तेल में तली हुयी वस्तु ये छः विगई है ।
इनका यथाशक्ति त्याग करना या रोज कम से कम 1 विगई त्याग करना । 

*४. उपानह :- जूता, मोजा, चप्पल, आदि पाँव में पहनने की चीजो की मर्यादा रखें । ( 3, 5 ,7 आदि )*

*५.तम्बोल :- मुखवास के योग्य पदार्थों , पान, सुपारी, खटाई, इलायची आदि का त्याग करना या दैनिक के लिए परिमाण रखना । ( 3, 5 ,7 आदि )*

*६. वत्थ :- पहनने, ओढ़ने के वस्त्रों की दैनिक मर्यादा रखना । ( 5 ,10, 15, 20 आदि )*
आज में ..... संख्या में वस्त्रों को अपने शरीर पर धारण करूँगा , इससे अधिक वस्त्रों को नहीं पहनूंगा ।

*७. कुसुम :- पुष्प, तेल, इत्र, अगरबत्ती आदि सुगंधित पदार्थों का दैनिक मर्यादा रखना । ( 3, 5 ,7 आदि )*

*८. वाहन :- रिक्शा, स्कूटर, कार, बस, ट्रेन आदि का दैनिक उपयोग या मर्यादा करें । ( 3, 5 ,7 आदि )*

*९. शयन :- शय्या, आसन, कुर्सी, बिछोना, पलंग आदि का प्रमाण करना ( 5 ,10, 15 आदि )*

*१०. विलेपन :- केसर, चन्दन, उबटन, साबुन, तेल, क्रीम, पाउडर आदि का प्रमाण करें । ( 3, 5 ,7 आदि )*

*११. ब्रह्मचर्य :- परस्त्री का सर्वथा त्याग , स्वस्त्री के साथ मर्यादा का संकल्प करें ।*

*१२. दिशा :- दश दिशाओ में अथवा एक दिशा में इतने कि. मी. से अधिक दूर जाने की सीमा निश्चित करना ।* (50 या 100 किलोमीटर )

*१३. स्नान :- श्रावक प्रतिदिन स्नान, हाथ पैर धोने की, जल की मर्यादा संख्या की मर्यादा रखना । (1 या 2 स्नान, 2 बाल्टी पानी से अधिक का त्याग)*

*१४.भक्त नियम :- प्रतिदिन अन्न पानी आदि चारो आहारों का तोल रखना । (रात्रिभोजन का त्याग, दिन में 2, 3 बार आदि)*

इन १४ नियमों को धरणेवाले *प्रातः काल सूर्योदय और सांयकाल के समय शुद्ध भूमि पर बैठकर ३ नवकार गिनकर* निम्नलिखित पच्चखान लें ।

*देसावगासियं भोगपरिभोमं पच्चखामि अन्नथनाभोगेनं सहसागारेणं महत्तरागारेनं सव्व्समाहि वत्तियागारेणम् वोसिरामी ।*

इन १४ नियम के अतिरिक्त अन्य भी कुछ नियम है जो उपयोगी होने से उनका पालन करना जरुरी है ।

१. *पृथ्वीकाय* :- मिट्टी नमक पत्थर आदि जो खाने व किसी काम के उपयोग में आवे उनका प्रमाण करना।
२. *अपकाय* :- जो पानी स्नान करने धोने नहाने व पिने के काम में आवे उसका प्रमाण करना ।
३. *तेउकाय* :- चूल्हा भठी चिराग गैस बिजली स्वीच आदि का प्रमाण करना ।
४. *वायुकाय* :- झुला पंखा कूलर ऐ.सी. आदि की मर्यादा रखना ।
५. *वनस्पतिकाय*:-हरी वनस्पति का प्रमाण करना ।
६. *त्रसकाय* :- निरपराधी चलते फिरते जीवो को न मारने का नियम रखना , अनजाने में मर जाये तो मिच्छामी दुक्क्डम देना। आज तक हमने बहुत कर्म बंधन कर लिए 
आज से हम १४ नियम आदि का पालन करके अनंत जीवों को अभयदान दे सकते हैं ।

*जब जागो तब सवेरा*
अभी इसी वक्त से श्रावक के १४ नियम लेने का संकल्प लेकर  निर्जरा की ओर अपना एक और कदम उठायें...

🙏🙏  "जय जिनेन्द्र"  🙏🙏

आजकल के दोहे... यदि कबीर जिन्दा होते तो आजकल के दोहे यह होते..

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आजकल के दोहे!!!


      ✍✍✍         

यदि कबीर जिन्दा होते तो 
आजकल के दोहे यह होते...


नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात,
बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात।।


पानी आँखों का मरा, मरी शर्म औ लाज,
कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज।।

भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास,
बहन पराई हो गयी, साली खासमखास।।

मंदिर में पूजा करें, घर में करें कलेश,
बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश।।


बचे कहाँ अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान,
पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान।।

पत्थर के भगवान को, लगते छप्पन भोग,
मर जाते फुटपाथ पर, भूखे, प्यासे लोग।।

फैला है पाखंड का, अन्धकार सब ओर,
पापी करते जागरण, मचा-मचा कर शोर।।

पहन मुखौटा धरम का, करते दिन भर पाप,
भंडारे करते फिरें, घर में भूखा बाप।।

     🌹🌹👌👌🌹🌹

Friday 17 March 2017

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"जिनवाणी का सार"...

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"जिनवाणी का सार".....


दु:ख से भरा संसार है

यहाँ कर्मों का व्यापार है

धर्म शरण से मुक्ति मिलेगी

"जिनवाणी का सार है"


नैय्या पड़ी मझधार है

करना सागर पार है

"आज महावीर की शरण में"

तेरा बेड़ा पार है..


" जय जिनेन्द्र "



Beautiful Lines... पलकें झुके,और नमन हो जाए ...

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Beautiful Lines...


पलकें झुके,और नमन हो जाए ..!!

मस्तक झुके,और वंदन हो जाए ..!!

ऐसी नज़र, कहां से लाऊँ, भगवन् ..!!

कि.. आप को याद करूँ,

और आपके दर्शन हो जाएं ..!!


" जय जिनेन्द्र  "


"जीव दया"... ☉ गर्मी आ गई हैं... पानी🌊 और भोजन🍞 की कमी से कई पक्षी 🕊मर जाते हैं...

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☉ गर्मी आ गई हैं...

पानी🌊 और भोजन🍞 की कमी से कई पक्षी 🕊मर जाते हैं | इसलिए आप सभी से निवेदन है कि इनकी जान बचाने के लिए अपनी छत🏠 या अटारी पर रोटी🍪 और पानी का एक कटोरा🍚 रखें|

              धन्यवाद...
                                
                     🐥🐤🐦🐧🕊🐿


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Thursday 16 March 2017

अनमोल वचन ... "पुण्य" छप्पर फाड़ कर देता है...

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    अनमोल वचन ...

"पुण्य" 
        छप्पर फाड़ कर देता है...    

"पाप"  
         थप्पड़ मार कर लेता है...      

Mala me 108 Moti hote hai..

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Mala me 108 Moti hote hai..

12 Arihant dev ke,

8 Siddh dev ke,

36 Acharya ke,

25 Upadhyaya ke,

27 Sadhu ke..


"Jai Jinendra" 



Beautiful Lines... *शासन* मिले ना *ऋषभनाथ* के बिना... Must Read...

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Beautiful Lines...



*शासन* मिले ना *ऋषभनाथ* के बिना।
*विनय* मिले ना *अजितनाथ* के बिना।

 *संभव हो* ना *संभवनाथ* के बिना।
*वन्दन* मिले ना *अभिनन्दन* के बिना।

*समृद्धि* मिले ना *सुमतिनाथ* के बिना।
*पदवी* मिले ना *पद्मनाथ* के बिना।

*दया* मिले ना *सुपार्श्वनाथ* के बिना।
*उजाला* मिले ना *चन्द्रप्रभ* के बिना।

*सुविधि* मिले ना *सुविधिनाथ* के बिना।
*ठंडक* मिले ना *शीतलनाथ* के बिना।

*यश* मिले ना *श्रेयांसनाथ* के बिना।
*पूजनीय* बने ना *वासुपूज्य* के बिना।

*निर्मल* बने ना *विमलनाथ* के बिना।
*शक्ति* मिले ना  *अनंतनाथ* के बिना।

*धर्म* होवे ना *धर्मनाथ* के बिना।
*शांति* मिले ना * शांतिनाथ* के बिना।

*करूणा* मिले ना *कुंथुनाथ* के बिना।
*आश्रय* मिले ना *अरहनाथ* के बिना।

*ममता* मिले ना *मल्लिनाथ* के बिना।
*मुक्ति* मिले ना *मुनिसुव्रत* के बिना।

*नरक* मिटे ना *नमिनाथ* के बिना।
*आनंद* मिले ना *अरिष्टनेमि* के बिना।

*कमठ* हारे ना *पार्श्वनाथ* के बिना*।
*चन्दना* तिरे ना *महावीर* के बिना।






Tuesday 14 March 2017

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 "जय जिनेन्द्र" सुप्रभात...



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Monday 13 March 2017

"सुविचार"... बस क्षमा स्वभावी बनो..

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"सुविचार"...


न क्रोधी बनो,

न अहंकारी बनो,

बस क्षमा स्वभावी बनो।

Great Lines... सत्संग is our Class..

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  Great Lines...


सत्संग is our Class.

संगत is our Classmates. 

मंदिर is our School.

गुरू की वाणी is Syllabus.

स्मरन is an Exam.

सेवा is our Practicals.

गुरू is our Teacher.

ईश्वर is our Examiner.

कर्म is our Result.

" जय जिनेन्द्र "