क्या आप ऐसे जैन हैं.....
1 प्रश्न.. *आप नित्य जिन मन्दिर जाते हैं ?*
उत्तर.. घर और दुकान पर भगवान की तस्वीर है दिया - बत्ती करता हूँ।
*(इनके पास वक्त नही है मेहरबानी कर रहे है)*
2 प्रश्न.. *क्या आप की संतान नित्य मन्दिर जाती है ?*
उत्तर.. अरे उसका कॉलेज है स्कूल है क्लास है।
*(आपकी सोच ही उसको धर्म के प्रति उदासीन बना रही है जहाँ चाह है वहाँ राह है)*
3 प्रश्न.. *क्या आप रात्रि भोजन करते हैं ?*
उत्तर.. अब व्यापार ही ऐसा है वक्त ही नहीं मिलता ?
*(आपने धर्म के नियम को अपनी सुविधा से तोड़ मरोड़ दिया है)*
4 प्रश्न.. *साधू संतो के विहार में गए हो ?*
उत्तर .. भाई इतना चलना ! माफ़ करना।
*(कभी 4 कदम विहार में नंगे पैर चल कर देखो फिर उनकी महानता का अनुभव होगा)*
5 प्रश्न.. *कभी साधुओं को आहार दिया चौका लगाया ?*
उत्तर.. पता नहीं क्या क्या करना पड़ता है, कैसे लगाऊँ ?
*आज ये हालत है तो आपकी संतान क्या साधुओ की सेवा करेगी कौन आहार विहार करवाएगा*
*अर्ज़ किया है*
मंदिर सूने रहने लगे
साधू पड़ गए अकेले ।
पूजा पाठ हो रहा
पुजारी को पैसा देके ।
बाप को व्यापार से फुरसत नहीं
बेटे की नींद खुलती नहीं ।
दादा जी की टांगे चलती नहीं
जैन का ठप्पा लगवाने
साल में एक दो बड़ी बोली लेले ।
क्या है भविष्य जैन धर्म का
कोई तो विचार कर ले ।
थोड़े कोई जो धर्म से जुड़ते
उनके भी है पंथवाद के झमेले।
सब झंझटो से निजात पाने
मोक्ष मार्ग अपनाने
जिन धर्म की पताका फहराने
एक सार्थक प्रयास करें
*मन्दिर निर्माण करने से पहले ऐसी जैन पिढ़ी का निर्माण करें जो उस मंदिर में जाकर जिन - दर्शन - पूजा - पाठ कर ले*।
।। जय जिनेन्द्र ।।
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