Saturday 30 June 2018

Kadve Pravachan... Jain Muni Tarun Sagar Ji...

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                                  कड़वे प्रवचन...

मुनि तरूणसागर जी...

 लक्ष्मी पुण्याई से मिलती है।
 मेहनत से मिलती हो तो मजदूरों के पास क्यों नहीं बुद्धि से मिलती हो तो पंडितों के पास क्यों नहीं जिंदगी में अच्छी संतान संपत्ति और सफलता पुणे से मिलती है। अगर आप चाहते हैं कि आपका इहलोक और परलोक सुखमय रहे तो दिन में दो पुण्य जरूर करिये...



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 जैन प्रवचन...

 जैन मुनि तरुणसागर जी...

  मां - बाप की आंखों में दो ही बार आंसू आते हैं। एक तो लड़की घर छोड़े तब और दूसरा लड़का मुंह मोड़ तब ।पत्नी पसंद से मिलती सकती है। मगर माँ तो पुण्य से ही मिलती है। इसलिए पसंद से मिलने वाली के लिए पुण्य से मिलने वाली को मत ठुकरा देना।




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                          जैन मुनि कड़वे प्रवचन...


तरूणसागर जी प्रवचन...

मैं भूखे पेट और नंगे बदन चलकर हर रोज तुम तक केवल इसलिए आता हूं कि मैं तुम्हें और तुम्हारे परिवार को मुस्कुराता हुआ देखना चाहता हूं। पूरे समाज व देश को आपसी प्रेम और विश्व शांति के पथ पर बढ़ता हुआ देखना चाहता हूं।


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कड़वे वचन...

मुनि तरूणसागर जी...

अपने होश - हवास में कुछ ऐसे सत्कर्म जरूर कर लेना की मृत्यु के बाद तुम्हारी आत्मा की शांति के लिए किसी और को प्रार्थना ना करनी पड़े क्योंकि औरों के द्वारा की गई प्रार्थनाएं तुम्हारे काम नहीं आने वाली। अपना किया हुआ और अपना दिया हुआ ही काम आता है।



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कड़वे प्रवचन ...

मुनिश्री तरूण सागर जी...

प्रश्न पूछा है: स्वर्ग मेरी मुट्ठी में हो - इसके लिए मैं क्या करूं ? बस इतना करो कि दिमाग को "ठंडा" रखो, जेब को "गर्म" रखो, आंखों में "शर्म" रखो, जुबान को "नरम" रखो और दिल में "रहम" रखो। अगर तुम ऐसा कर सकते हो तो फिर तुम्हें किसी स्वर्ग तक जाने की जरूरत नहीं।




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कड़वे प्रवचन...

मुनिश्री तरूणसागर जी...

कौन कहता है जैसा "संग वैसा रंग" ? इंसान लोमड़ी के साथ नहीं रहता है फिर भी "शातिर" है ! इंसान शेर के साथ नहीं रहता फिर भी "क्रूर" है ! और तो और इंसान वह फितरत है जो कुत्ते के साथ रहता है फिर भी "वफादार" नहीं है !




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कड़वे प्रवचन...

मुनिश्री तरूणसागर जी...


मुझे किसी ने कहा कि जैनी सूर्य और गंगा को नहीं मानते हैं। गंगा में नहाते नहीं है और सूर्य को जल नहीं चढ़ाते। मैंने कहा कि गंगा और सूर्य को सबसे ज्यादा हम मानते हैं। हम गंगा को इतना पवित्र मानते हैं कि उसमें नहाते तक नहीं हैं। सूर्य को इतना पवित्र मानते हैं कि वह चला जाए तो उसके गम में खाते तक नहीं हैं।

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